RBI गवर्नर शक्तिकांत दास की चिंता के पीछे वजह क्या है? बैंकों में आखिर कौन सा 'खेल' चल रहा है? यहां जानिए
RBI Governor on Banks: आरबीआई का कहना है कि बैंकों में गवर्नेंस को लेकर कई खामियां पाई गई हैं, ये खामियां गाइडलाइंस जारी करने के बावजूद मिल रही हैं. ऐसे में गवर्नर ने बोर्ड और मैनेजमेंट को इन खामियों से कड़ाई से निपटने के निर्देश दिए हैं.
RBI Governor on Banks: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) बैंकों के कामकाज और गवर्नेंस को लेकर सख्ती दिखा रहा है. गवर्नर शक्तिकांत दास ने पिछले दिनों देश के सरकारी और निजी बैंकों के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर के साथ एक संवाद कार्यक्रम (Conference of Directors of Banks) में बैंको को लेकर कई चिंताएं जताई हैं. बैंकों के डायरेक्टरों को आरबीआई की ओर से सख्त दिशा-निर्देश भी जारी किए गए हैं. आरबीआई का कहना है कि बैंकों में गवर्नेंस को लेकर कई खामियां पाई गई हैं, ये खामियां गाइडलाइंस जारी करने के बावजूद मिल रही हैं. ऐसे में गवर्नर ने बोर्ड और मैनेजमेंट को इन खामियों से कड़ाई से निपटने के निर्देश दिए हैं.
बैंकिंग सिस्टम पर पड़ सकता है असर
अपने संबोधन में शक्तिकांत दास ने कहा कि बैंकों के इन तरीकों से बैंकिंग सिस्टम में उतार-चढ़ाव हो सकता है. जब समय अच्छा होता है, तब अकसर लोग जोखिम को नजरअंदाज कर देते हैं. ऐसे में बैंको के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर और सीनियर मैनेजमेंट को बाहरी जोखिम पर नजर रखना चाहिए और इंटरनल सिस्टम को मजबूत करना चाहिए. हालांकि, इसके अलावा गवर्नर ने भारतीय बैंकिंग सिस्टम की तारीफ भी की और कहा कि पिछले कुछ समय से और खासकर COVID के दौरान, यूरोप में तनाव के हालत और दुनिया के कुछ विकसित देशों में बैंकिंग संकट के संकेतों के बावजूद भारतीय बैंकों ने बेहतर प्रदर्शन किया है.
ये भी पढ़ें: RBI की बैंकों को फटकार! डायरेक्टर्स के साथ बैठक में गवर्नर ने कहा- 'हमारी हर कदम पर पैनी नजर, ना बने ज्यादा स्मार्ट'
लोन देने के तरीकों और NPA की सबसे ज्यादा चिंता
TRENDING NOW
आरबीआई गवर्नर ने अपने संबोधन में NPA (non-peforming asset) पर सबसे ज्यादा चिंता जताई है. खासकर, बैड लोन छिपाने और खुद को मुनाफे में दिखाने की बैंकों की प्रैक्टिस पर गवर्नर ने सवाल उठाए हैं. आरबीआई का कहना है कि बैंक लोन की एवरग्रीनिंग (evergreening) कर रहे हैं. स्ट्रेस्ड लोन के स्टेटस को छिपाने के लिए नए तरीके अपनाए गए. एक-दूसरे के खराब लोन बचाने के लिए बैंकों की साठ-गांठ है और उन्होंने लोन बिक्री और लोन बायबैक के जरिए खराब कर्ज छिपाने की कोशिश की. अच्छे और खराब लेनदारों के बीच स्ट्रक्चर्ड डील की गई. गवर्नर ने कहा कि बैंक खराब लोन की एवरग्रीनिंग कर रहे हैं, यानी ऐसे लोन जो NPA की श्रेणी में जाने वाले हैं, उनको डिफॉल्ट से पहले कंपनी को और लोन दे देते हैं, और फिर इस अतिरिक्त लोन से कंपनी किस्त चुकाती है, इससे लोन का साइकल चलता रहता है और वो लोन NPA की श्रेणी में भी नहीं जाता. लेंडर के लोन को इंटरनल या ऑफिस एकाउंट्स के जरिए एडजस्ट किया जाता है.
बैंकों के मैनेजमेंट के काम करने के तरीकों पर भी सवाल
आरबीआई की चिंता में बैंकों के मैनेजमेंट में संतुलन न होना भी है. आरबीआई गवर्नर ने कहा कि बैंकों के बोर्ड के फैसले लेने में MD और CEO का ज्यादा प्रभाव दिख रहा है. वहीं, कुछ मामलों में बोर्ड की ओर से दी गई जानकारी गलत पाई गई है. बोर्ड के एजेंडा नोट में पूरी जानकारी नहीं दी गई है. कई बार एजेंडा नोट के नाम पर पावर-पॉइंट प्रेजेंटेशन भेजा गया है. एजेंडा पेपर वक्त पर जारी नहीं किया गया. यही नहीं, बैंकों ने स्मार्ट अकाउंटिंग के जरिए मुनाफा बढ़ा-चढ़ाकर भी दिखाया है.
ये भी पढ़ें: बैंक को ही लगा चूना, साइबर धोखाधड़ी में ठगों ने चालू खाते से निकाल लिए 7.79 करोड़ रुपये; केस दर्ज
बैंकों के सीनियर अधिकारियों को रहना होगा अलर्ट
गवर्नर ने कहा कि जब समय अच्छा होता है तब अक्सर जोखिम को नजरअंदाज किया जाता है, इसलिए बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स, सीनियर मैनेजमेंट को बाहरी जोखिम पर नजर रखनी चाहिए. बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स को इंटरनल सिस्टम को मजबूत करना चाहिए. आरबीआई गवर्नर ने निर्देश देते हुए कहा कि बैंकों को सोशल मीडिया और अन्य माध्यम से जारी होने वाली सूचनाओं पर नजर रखनी होगी. बैंकों के CEO से कहा गया है कि इस तरह के मामले आने पर मीडिया से तुरंत संपर्क करके सच्चाई को सामने रखा जाए. पहले इस तरह के हालत को काबू में करने के लिए RBI को आगे आना पड़ा है.
Zee Business Hindi Live TV यहां देखें
05:59 PM IST